ये हमें नशा इश्क़ का हुआ, या चढ़ गई तेरी खुमारी, कानों में आवाज आये, आंखों पर मुस्कान तुम्हारी, मन मेरो अब लागत नहीं, अखियन में नहीं नींद हमारी, सुकूँ हमे मिलत नहीं है, जै होवे ना बतिया खूब सारी, कोई तो बुलाओ वैध को मेरे, हुई हमें ये कैसी बीमारी, वो ही रोग लगो हमें भी जो, तोय भी लगो थो! मेरे बाँके बिहारी ।। राधे - राधे जी सबन को, आज हम थोरी UP वाली बोल रहे है, अब कान्हा जी नगरी से निकरे सो चढ़ गई, हमारी जुबाँ पे। और हाँ जै हमारे शब्द ही है, तुम्हें सिर्फ पढ़बे की रखी है, समझन की नाही, वो तो समझबे वाले समझ ही जाने है अपने से।😂🤣😂🤣