मजरूम भरे दर्द ज़माने में रह गए, हम इंसानियत का फर्ज निभाने में रह गए ,तुम चुपके से मेरे घर में आग लगाते रहे,और हम तुम्हारे ही घर के आग बुझाने में रह गए। AKSHAY KUMAR akshay kumar