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उजड़ा है मैरा बागवा तो उजड़ा रहने दो ! विरा है मैरे

उजड़ा है मैरा बागवा तो उजड़ा रहने दो !
विरा है मैरे दिल का गुलिस्ता तो विरा  रहने दो !

अब तेरी झूठी तस्सलियो की जरूरत नहीं है मुझे, 
छोड़ दो अकेला मुझे अब तन्हा रहने दो !

उजाले मे तन्हा पाउँगा अपने साहे को तो 
उसकी कमी का अहसास होगा मुझे  

मत जलाओ चराग अब मैरी जिंदगी मे  अंधेरा रहने दो !




शायर Rmk मैरे नये अल्फाज़
उजड़ा है मैरा बागवा तो उजड़ा रहने दो !
विरा है मैरे दिल का गुलिस्ता तो विरा  रहने दो !

अब तेरी झूठी तस्सलियो की जरूरत नहीं है मुझे, 
छोड़ दो अकेला मुझे अब तन्हा रहने दो !

उजाले मे तन्हा पाउँगा अपने साहे को तो 
उसकी कमी का अहसास होगा मुझे  

मत जलाओ चराग अब मैरी जिंदगी मे  अंधेरा रहने दो !




शायर Rmk मैरे नये अल्फाज़