।। ॐ ।। परि प्र धन्वेन्द्राय सोम स्वादुर्मित्राय पूष्णे भगाय ॥ पद पाठ प꣡रि꣢꣯ । प्र । ध꣣न्व । इ꣡न्द्रा꣢꣯य । सो꣣म । स्वादुः꣢ । मि꣣त्रा꣡य꣢ । मि꣣ । त्रा꣡य꣢꣯ । पू꣣ष्णे꣢ । भ꣡गा꣢꣯य ॥ हे (सोम) रसागार एवं शान्तिमय जगदीश्वर ! (स्वादुः) मधुर आप, मेरे (इन्द्राय) आत्मा के लिए, (मित्राय) मित्रभूत मन के लिए, (पूष्णे) पोषक प्राण के लिए और (भगाय) सेवनीय बुद्धितत्त्व के लिए (परि प्र धन्व) सब ओर से माधुर्य और शान्ति को क्षरित करो ॥ Hey (Mon) Rasagara and Shantimay Jagadishwar! (Svadhu:) You are sweet, for my (Indra) soul, (Mitraya) for a friendly mind, (Pushane) for nutritious life and (Bhagya) for saintly intellect (Parivar Dhanva) from all sides. Do it सामवेद मंत्र ४२७ #सामवेद #वेद #सोम #परमेश्वर