मशहूर ज़माने भर में मशहूर होकर अर्ज़मन्द बनने का शौक मुझे आज भी नहीं, ओ बेख़बर बस उन भीड़ भरी गालियों में तू पहचान सके इतनी सी इल्तज़ा हैं मेरी #25