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वो मासूम सी आँखें, जो हर पल मुझे अपने पास बुलाती

वो मासूम सी आँखें,  जो हर पल मुझे अपने पास बुलाती थी..... 
कभी हंसती थी कभी हँसाती थी कम्बख्त बहुत इतराती थी........ 

मगर अब वफ़ा की दहलीज पर जख्मो की बरसात होने लगी हैं..... 
जो कल तक नहीं थी वो कम्बख्त आज होने लगी हैं.....
 
वो मुझसे गिला कर खुद
में इतनी खो रही हैं....  
लगता हैं कोई और मिल गया उसे उसकी अब वो हो रही हैं...... 

मगर उसके हर सुख दुख का सहारा तो मैं ही था न, 
गमो की न जाने कितनी शामे इज दूजे के साथ बितायी थी...... 
मेरी आँखो में आंखें डालकर वो भी मुस्कुरायी थी..... 

वो वादे वो इरादे वो खायी मेरी कसमें.... 
सब धीरे धीरे हवा हो गये, 
अरे अपना अपना ही रह गया, 
कम्बख्त गैर जख्मो की दवा हो गये...... 

हम हमेशा साथ रहेंगे,  इक दूजे के पास रहेंगे, 
ऐसा वो कल भी कहती थी और आज भी कहती हैं..... 
मगर फ़र्ज सिर्फ़ इतना हैं कि राहें वफ़ा की मेरी ओर नहीं हैं ये. . ......
किसी गैर की बाँहों में रहकर उससे ये सब कहती हैं...... 

अपनी मोहब्बत के दावों से प्यार उसको जताने लग गया, 
और फ़िर कोई और उसकी जुल्फ़ो को उसके चेहरे से हटाने लग गया...... 

इसलिये मैं कहता हूं कि,........
वफ़ा के रिश्तो को हरपल तू वफ़ा से निभायेगा, 
जो आज तेरा हैं कल किसी और के गले लग जायेगा....... 

तू निभाते रहना अपनी कसमें अपने वादे....... 
रो रोकर आँखो का समंदर खाली कर देना, 
मगर वो अपना आँसू किसी और के काँधे पर ही गिरायेगा........ 

अब क्या था और क्या रहूं मैं, 
किससे किसको अपना कहूं मैं, 
जख्म तो हैं......क्या उनको अकेला ही सहूँ मैं...... 

☝️💔🌨 ☝️💔🌨
वो मासूम सी आँखें,  जो हर पल मुझे अपने पास बुलाती थी..... 
कभी हंसती थी कभी हँसाती थी कम्बख्त बहुत इतराती थी........ 

मगर अब वफ़ा की दहलीज पर जख्मो की बरसात होने लगी हैं..... 
जो कल तक नहीं थी वो कम्बख्त आज होने लगी हैं.....
 
वो मुझसे गिला कर खुद
में इतनी खो रही हैं....  
लगता हैं कोई और मिल गया उसे उसकी अब वो हो रही हैं...... 

मगर उसके हर सुख दुख का सहारा तो मैं ही था न, 
गमो की न जाने कितनी शामे इज दूजे के साथ बितायी थी...... 
मेरी आँखो में आंखें डालकर वो भी मुस्कुरायी थी..... 

वो वादे वो इरादे वो खायी मेरी कसमें.... 
सब धीरे धीरे हवा हो गये, 
अरे अपना अपना ही रह गया, 
कम्बख्त गैर जख्मो की दवा हो गये...... 

हम हमेशा साथ रहेंगे,  इक दूजे के पास रहेंगे, 
ऐसा वो कल भी कहती थी और आज भी कहती हैं..... 
मगर फ़र्ज सिर्फ़ इतना हैं कि राहें वफ़ा की मेरी ओर नहीं हैं ये. . ......
किसी गैर की बाँहों में रहकर उससे ये सब कहती हैं...... 

अपनी मोहब्बत के दावों से प्यार उसको जताने लग गया, 
और फ़िर कोई और उसकी जुल्फ़ो को उसके चेहरे से हटाने लग गया...... 

इसलिये मैं कहता हूं कि,........
वफ़ा के रिश्तो को हरपल तू वफ़ा से निभायेगा, 
जो आज तेरा हैं कल किसी और के गले लग जायेगा....... 

तू निभाते रहना अपनी कसमें अपने वादे....... 
रो रोकर आँखो का समंदर खाली कर देना, 
मगर वो अपना आँसू किसी और के काँधे पर ही गिरायेगा........ 

अब क्या था और क्या रहूं मैं, 
किससे किसको अपना कहूं मैं, 
जख्म तो हैं......क्या उनको अकेला ही सहूँ मैं...... 

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