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White आँखों से अलख जगाने को, यह आज भैरवी आई है। उ

White आँखों से अलख जगाने को,
यह आज भैरवी आई है।

उषा-सी आँखों में कितनी,
मादकता भरी ललाई है।

कहता दिगंत से मलय पवन
प्राची की लाज भरी चितवन
है रात घूम आई मधुबन,
यह आलस की अँगराई है।

लहरों में यह क्रीड़ा-चंचल,
सागर का उद्वेलित अंचल
है पोंछ रहा आँखें छलछल,
किसने यह चोट लगाई है?

जय शंकर प्रसाद

©आगाज़
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