एक दौर से गुजर रहा हूं खुद को खोज रहा हूं या पता नहीं खो हो रहा हूं यह मैं क्या सोच रहा हूं कभी-कभी मैं खुद को समझ नहीं पाता यह कैसे हालातों से गिरा हूं सब कुछ हो कर भी कुछ नहीं मैं तो किस्मत से हारा हूं सीख तो लिया है अकेले चलना, अकेले रहना फिर भी कोई तो हो ऐसा जो मुझे मेरी कमियां निकाल सके आखिर हमें भी तो पता चले कि मैं ऐसा क्यों हूं बहुत आए जिंदगी में बस आकर कर चले गए कोई ठहरा नहीं सब कुछ ना कुछ समझा कर चले गए कोई नहीं मिला हमें समझने वाला और उनका इंतजार करते रहे इस इंतजार में अकेले पड़ते गए इस दौर के हमसफर बन गए मैं नाराज नहीं किसी से , मैं तो खुद का गुनहगार हूं किसी से मिलना बात करना अच्छा नहीं लगता अकेले बैठकर सोचता हूं मैं ऐसा क्यों हूं क्या सही है और क्या गलत है आखिर इस बात का फैसला कौन करें किसी के लिए मैं सही तो किसी के लिए गलत हूं कभी-कभी मैं खुद के लिए भी कुछ नहीं हूं मेरी सोच भी तन्हाई से डरने लगी और गमों की दोस्ती के आगे मुस्कुराहट भी रोने लगी मैं खुद को समझ नहीं पा रहा हूं कि किस दौर से गुजर रहा हू एक दौर से गुजर रहा हु #porms #poetry #story .. #thoughts