बरस बीते मिले तुमको पर आँखों मे एक नूर है| मै भी अब तक याद हूँ या ये मेरा ही फितूर है? वास्ता इतना ही रख लो, झूठी कसमे ही खाया करो, दिल-ए-मोहब्बत न सही तो मेरी हिचकियों मे आया करो| (पूर्ण कविता कैप्शन में पढ़े...!) बरस बीते मिले तुमको पर आँखों मे एक नूर है| मै भी अब तक याद हूँ या ये मेरा ही फितूर है? वास्ता इतना ही रख लो, झूठी कसमे ही खाया करो, दिल-ए-मोहब्बत न सही तो