ज़माने भर की खुशियां रख दूं महबूब के कदमों में जिल्लतें उठाकर मुस्कुराहट भर दूं महबूब के कदमों में तार्रुफ़ हुआ कुछ इस कदर मुहब्बत के सदमों में की बची हुई साँसे भी रख दूं महबूब के कदमों में तार्रुफ़=परिचय, मुलाकात ♥️ Challenge-598 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ विषय को अपने शब्दों से सजाइए। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।