एक हसीना थी,कल। एक हसीना है,आज। एक हसीना होगी और हमेशा रहेगी। बगैर हसीना के न तो कोई शायर,कवि लेखक बना है न कभी बनेगा,हसीना का बड़ा महत्व है लेखनी में। हसीना का योगदान