" कलयुग " लाशों का ढेर देखो कैसे मज़लूम पड़ा है । कुछ बचा है , कुछ को नौच खाया है ।। टुकड़ा-टुकड़ा कर इकट्ठा किया सामान कुछ । कुछ को दफ़ना दिया , कुछ को जलाया है ।। हूँ परेशान अकेला , भटक रहा हूँ । किस से कराऊँ अब पहचान , मुर्दो के बीच लटक रहा हूँ।। भूखे भेड़ियों का झुण्ड हर तरफ । पेट की आग मिटाने निकल पड़ा है ।। चिताये बुझी भी नही इंशान मांस खाने निकल पड़ा है ।। देखकर हाहाकार चारो ओर , कुदरत भी मुश्कुरा रहा है। पाप का भर गया है घड़ा अब , लो इस कलयुग का अंत आ रहा है ।। लाशों का ढेर देखो कैसे मज़लूम पड़ा है । कुछ बचा है , कुछ को नौच खाया है ।। Rohit Saini"Reflection" " कलयुग " #nojoto #poetry #kahani #poetrygang #shayari #thoughts #vichar #story #storypart #innerpiece Manasvi Saini Sarmistha Das @s