एक छत चाहिए......आसरा के लिए। थाम लो हाथ मेरा.......सदा के लिए। दे सकेंगे भला इससे ज्यादा भी क्या। जान दे दें तुम्हारी........वफा के लिए। तुम भले बद्दुआएंँ......…ही देती रहो, हाथ मेरे उठे बस..........दुआ के लिए। हम तुम्हारे बिना........जी सकेंगे नहीं, माफ़ कर दो मुझे उस..खता के लिए। चाहतें कम नहीं हो.......सकेंगी कभी, है इनायत खुदा.........राबता के लिए। ♥️ Challenge-970 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।