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क्या थक सा गया है तू, या रूक सा गया है तू किस बात

क्या थक सा गया है तू, या रूक सा गया है तू 
किस बात का है भय, क्यों झुक सा गया है तू
है ताक़त जितनी ज़ोर लगा, साहस ही तो जीवन है
हाँ ये तोड़ दे सारी बेड़ियां, क्यों बंध सा गया है तू 📌निचे दिए गए निर्देशों को अवश्य पढ़ें...🙏

💫Collab with रचना का सार..📖

🌄रचना का सार आप सभी कवियों एवं कवयित्रियों  को  प्रतियोगिता:-63 में स्वागत करता है..🙏🙏

*आप सभी 4 पंक्तियों में अपनी रचना लिखें। नियम एवं शर्तों के अनुसार चयनित किया जाएगा।
क्या थक सा गया है तू, या रूक सा गया है तू 
किस बात का है भय, क्यों झुक सा गया है तू
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