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हमनशीं यादें तेरी, दिल टूटा सौ बार तेरे शहर में, अ

हमनशीं यादें तेरी, दिल टूटा सौ बार तेरे शहर में,
अधूरे साथ हाथ चूमते मेरा,  दिन  के  दूजे  पहर  में।

आके बैठते तुम तो हम अपनी ही अपनी कहते,
तुम मुस्काते, और मैं हॅंसती रहती तेरे ही असर  में।

हर महफ़िल अब से तन्हाई की राह दिखाती है,
गिरकर फिर उठती अकेली, कहाॅं हो इस सफ़र  में।

कई किरदार सहारा देने आए मुझे अकेला पा,
मैंने तुम्हें ही चाहा तो, क्यों छोड़ा  मुझे  यूॅं  अधर  में।

हर काग़ज़ मुझे चिढ़ाकर बेअदबी दिखाता रहा,
कलम छीनी अधबीच में न लिख  पाई  एक  अक्षर मैं।

इश्क है आख़िर मेरा कितना कोसूॅं तुझे ए 'भाग्य',
तेरे शहर के नाम से भी प्यार है हूॅं पागल इस कदर मैं। ♥️ Challenge-805 #collabwithकोराकाग़ज़ 

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हमनशीं यादें तेरी, दिल टूटा सौ बार तेरे शहर में,
अधूरे साथ हाथ चूमते मेरा,  दिन  के  दूजे  पहर  में।

आके बैठते तुम तो हम अपनी ही अपनी कहते,
तुम मुस्काते, और मैं हॅंसती रहती तेरे ही असर  में।

हर महफ़िल अब से तन्हाई की राह दिखाती है,
गिरकर फिर उठती अकेली, कहाॅं हो इस सफ़र  में।

कई किरदार सहारा देने आए मुझे अकेला पा,
मैंने तुम्हें ही चाहा तो, क्यों छोड़ा  मुझे  यूॅं  अधर  में।

हर काग़ज़ मुझे चिढ़ाकर बेअदबी दिखाता रहा,
कलम छीनी अधबीच में न लिख  पाई  एक  अक्षर मैं।

इश्क है आख़िर मेरा कितना कोसूॅं तुझे ए 'भाग्य',
तेरे शहर के नाम से भी प्यार है हूॅं पागल इस कदर मैं। ♥️ Challenge-805 #collabwithकोराकाग़ज़ 

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