असफ़ल हो गया था एक महत्वपूर्ण इन्तेहाँ में मैं , किसे सुनाता अपने इस असफलता की दास्तां मैं ? कौन सुनता मेरी जीवन की ऐसी कहानियां ? क्यों सुनता कोई भी मेरी ऐसी बेकार सी बात ? क्या अच्छा किया था जो मैंने सुनेंगे मुझे सब लोग ? ये कौन सी उपलब्धि थी जो जानना चाहेंगें लोग ? ये समझ पाना बड़ी मुश्किल था अब क्या करूँ मैं ? यूँ रोता ही रहूँ या हमेशा के लिए हो जाऊँ चुप मैं ? आज कई सवालों पैदा हो रहे थे अब मन मे हमारे आज सोचने पे मजबूर हुआ था मैं आखिर कौन हूँ मैं ? दुनिया मे अस्तित्व क्या है मेरा शायद कुछ भी तो नहीं , सोचने पे विवश था मैं जीने की क्या वजह है अब मेरी ? मैं रहूं या ना रहूँ तो क्या फ़र्क पड़ेगा अब इस धरती पर ? अबतक खुद को भी ना जान पाया था आखिर कौन हूँ मैं ? इस प्रश्नों के हल ढूंढने के कई प्रयास करते रहता था मैं , जो बोल नहीं सकता था वो लिखने पे मजबूर अब था मैं , कोई ना था मेरी असफलता की ये दास्तां सुनने को वहाँ उन परिस्थितियों ने ही मुझे सब लिखना सीखा दिया था , अब ख़ुद से पूछता हूँ मैं रोज ये सवाल आख़िर कौन हूँ मैं!! ~एक असफ़ल छात्र Part 1 (एक असफ़ल छात्र) More part coming soon ... 🙂 [ एक असफ़ल छात्र ] असफ़ल हो गया था एक महत्वपूर्ण इन्तेहाँ में मैं , किसे सुनाता अपने इस असफलता की दास्तां मैं ?