मो को कहा ढूढ़े रे बंदे मैं तो तेरे पास नहीं चाइए इसी पूजा जिसमें हो अपमान निज स्वार्थ के कारण बंदे मेरी दुर्गत क्यू क्यू करते ऐसा आडंबर ये सारा खेला क्यू देख के सारा मंजर आंखे मेरी भर अाई कब जागेगा बंदे तू हो रही बहुत रुसवाई चेतना