यूँ ना देखें खुशियों की छवि, बीते ना मुश्किल की घड़ी। होगा वही... जो लिखा हैं फ़रियादी ए ग़ालिब , बस अब खुद को सम्भालना हैं। इत्तु सा... इत्तु सा पैग़ाम मुश्किल के नाम। यूँ ना देखें खुशियों की छवि, बीतेगी ना मुश्किल की घड़ी। होगा वही... जो लिखा हैं फ़रियादी ए ग़ालिब , बस अब खुद को सम्भालना हैं।