बात उन दिनों की है,जब मैं पार्ट2 में थी।एक इवेंट में मुझे अपनी कविता कहनी थी,मैं बहुत घबराई थी,तभी एक अजनबी शख़्स ने मुझे हौसला दिया कि "घबराओ नही तुम आज से,रख हिम्मत अपने साज पे,तू भी मंजिल पायेगा,बढ़ाओ आगर एक कदम को आज तुम। मैं उनकी सदा आभारी हूं उनके अफसाने मुझे हमेशा प्रेरित करते रहे है।। ©लवली आनंद #अफ़सानों में है जिक्र तुम्हारा.! #हिंदीनोजोतो #हिंदी_कविता #लवली_आनंद