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तुम्हें पता है तुम से बिछड़ कर क्या हुआ, मेरी रुह स

तुम्हें पता है तुम से बिछड़ कर क्या हुआ,
मेरी रुह सुर्ख़ रही,जिस्म मेरा हलाल हुआ,

बज्म ए इश्क़ में खुशियों की बौछारें छाई थी,
 मैं तन्हाई में भीग रही, मेरा इतना बुरा हाल हुआ,

मेरा न मुझ में कुछ रहा सब कुछ उजड़ सा गया,
बेबाक़ सी बढ़ रही थी अब हिज्र से नाता जुड़ गया,

दिया तेरा वो गुलाब आज फिर से महक रहा था,
उसकी सौंधी महक से आंतरिक हृदय पर घात हुआ,

बच बचाकर निकल रहे थे उनकी गलियों से हम,
पर कितनी कोशिश कि सब बेकार फिर सामना उन से हुआ।
 "अजीज/प्रिय"  "कातिबों/लेखकों"

👉आज की बज़्म/प्रतियोगिता के लिए आज का हमारा अल्फ़ाज़/शब्द है
👇👇👇

🌼"तुम्हें पता है तुमसे बिछड़ कर क्या हुआ"🌼🌺” تمہیں پتا ہے تُم سے بِچھڑ کر کیا ہوا"🌺
🌸"TUMHEIN PATAA HAI TUMSE BICHHAD KAR KYA HUA"🌸
तुम्हें पता है तुम से बिछड़ कर क्या हुआ,
मेरी रुह सुर्ख़ रही,जिस्म मेरा हलाल हुआ,

बज्म ए इश्क़ में खुशियों की बौछारें छाई थी,
 मैं तन्हाई में भीग रही, मेरा इतना बुरा हाल हुआ,

मेरा न मुझ में कुछ रहा सब कुछ उजड़ सा गया,
बेबाक़ सी बढ़ रही थी अब हिज्र से नाता जुड़ गया,

दिया तेरा वो गुलाब आज फिर से महक रहा था,
उसकी सौंधी महक से आंतरिक हृदय पर घात हुआ,

बच बचाकर निकल रहे थे उनकी गलियों से हम,
पर कितनी कोशिश कि सब बेकार फिर सामना उन से हुआ।
 "अजीज/प्रिय"  "कातिबों/लेखकों"

👉आज की बज़्म/प्रतियोगिता के लिए आज का हमारा अल्फ़ाज़/शब्द है
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