मिलन की घड़ी जब से नज़दीक आई हैं तेरी आहट ने इस दिल की धड़कन बढ़ाई है न होठों पर कोई लफ्ज़ अब आकर के ठहरा आँखों में मैंने अपनी सारी दुनिया छुपाई है कोई और ख़लल न हो अब हमारे दरमियाँ इश्क़ ने अश्क़ों की बाहों में ली अंगड़ाई है तुम खामोश हो तो हम भी चुप हैं यहाँ हमें देखकर चाँदनी भी शर्माई है कर लो हसरतें पूरी इस दिल की ओ मेरे दिलबर न जाने कितनी मुद्दतों बाद अब ये रात आई है ♥️ Challenge-788 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।