हमारे दिलों में हरदम मनुहार रहे, हमारी महक का हरदम उपहार रहे, लाख अंधेरों की परछाईयाँ पसरे, पर अजर अमर अपना ये प्यार रहे। नयनों में एक दूजे का दीदार रहे, चाहतों से उभरा अपना श्रृंगार रहे, लाख राहों में गमों के काँटों पसरे, अपनी तो मधुरम गूंजती झंकार रहे। हमारी हर उलझनों का परिहार रहे, उलझनों में भी ये प्रेम दिलदार रहे, लाख खाली महली मकान यहाँ पसरे, अपना तो बस केसरिया घरबार रहे। हर मौसम संग संग अपना परिवार रहे, हमारे सब नन्हें सपने साकार रहे, लाख तेरी मेरी चुगलियाँ पसरे, पर हम तुम बेफ़िकर मस्त मजेदार रहे। ©Anand Dadhich #Love #hindi_poetry #kaviananddadhich #poetananddadhich #poetsof2022