भगवान ने जब खूबसूरत दुनिया बनाई, तो एक नई युक्ति उसके दिमाग में आई, वो सभी को खुश नहीं रख सकता, इसलिए उसने माँ नाम की सुन्दर मूरत बनाई। उस माँ के हृदय को लाड़ प्यार से भरकर, धरती के समान विशाल कर दिया, दुनिया की सारी प्रेम वात्सल्य ममता, माँ के हृदय में कूट-कूट कर भर दिया। माँ गंगा की पवित्र निर्मल बहती धारा है, माँ अपने बच्चों का एकमात्र सहारा है। माँ छलकता हुआ अमृत का प्याला है, माँ भूखे बच्चों के लिए एक निवाला है। माँ की गाथा क्या कोई लिख पाएगा, माँ के लिए शब्दकोश भी कम पड़ जाएगा। माँ ब्रह्माण्ड में घुमती पृथ्वी की धुरी है, माँ बिना तो सृष्टि की कल्पना भी अधूरी है। 👉 ये हमारे द्वारा आयोजित प्रतियोगिता संख्या -2. है..! 👉 आप सभी को दिए गए शीर्षक के साथ collab करना है, अपनी रचना को आठ पंक्तियों (8) में लिखें..! 👉 Collab करने के बाद comment box में Done अवश्य लिखें, और comment box में अनुचित शब्दों का प्रयोग न करें..! 👉 इस प्रतियोगिता में भाग लेने की समय सीमा आज रात्रि 10 बजे तक की है..!