अनुशंसा!.....अनुशंसा!......... हे! प्रकृति अनुशंसा!!............ हे! भद्रे मेरी अपरिवर्तित भूल... कदाचित क्षमा का पात्र नही....... स्नेहिल तृष्णा अभिभूत सा...... यद्यपि उद्देश्य संताप नही........ पुण्य पवित्र उर समतल सा...... किञ्चित मात्र भी संदेह नही...... अनुशंसा!.....अनुशंसा!......... हे! प्रकृति अनुशंसा!!............ अध्यात्म बिहीन मन शंका सा... प्राण हीन प्राणी अंतः सा..... निष्ठा पर क्यूँ कोप लगा........ क्या अनुशंसा का पात्र नही...... हृदय अंत क्यूँ, फफक पड़े...... क्या अनंत तरंग मर्याद नही...... अनुशंसा!......अनुशंसा!........ हे! वसुन्धरे अनुशंसा!!........... #yqdidi #sahityasayri #hindisahitya# #हिंदी_काव्य #yqbaba #poetry #shayari #श्रीsnsa