नए रिश्ते क्यों हम कोई नए रिश्ते बनाने जाएंगे हम तो तेरे सजदे में ही अपना सर झुकाएंगे हवाएं भी गर करने लगे तुमसे खता हम उन हवाओं का रुख भी तेरे लिए मोड़ लाएंगे चांद तारे तोड़ने जितनी हमारी औकात नहीं हम तो तेरे लिए पूरा गुलिस्तां सजाएंगे बारिशों में भीगना तो सबको पसंद है तेरी मोहब्बत में हम सर से पैर तक भीगना चाहेंगे साथ जीना मरना तो खुदा के हाथों में है पर आखिर सांस तक तेरा साथ हम निभाएंगे। #Relationships #december#day 20#नए रिश्ते