वो सुदूर आकाश में, टिमटिमाता... नन्हा सा एक तारा,, दुबका..... सोच में डूबा उद्विग्न! आकार से खिन्नः! विचार से भिन्न:! नटखट..... बादलों संग लुकाछिपी करता,, आकाशीय सौंदर्य में सहभागी,, रात्रि के अंतिम पहर तक,, तिमिर से, दो दो हाथ करता, अरुणोदय के साथ, प्रभा ओट में, पुनः रात्रि प्रतीक्षा में ©श्री....✍🏻 अधीर !.... #yqdidi #yqbaba #hkkhindipoetry #हिंदी_काव्य_कोश #yqshayari #श्रीsnsa