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प्रेम हमेशा स्वभाव, समर्पण और सोहार्द की अनुभूति ह

प्रेम
हमेशा
स्वभाव,
समर्पण
और सोहार्द
की अनुभूति होती है.. राधे मेरे !

जलन,
ईर्ष्या,
द्वेष से परे
प्रेम 
हृदय, मन की
एक तपस्या होती हैं.. प्रिये मेरे..!! #प्रेम_परिकाष्ठा -11🌺
___________________



प्रेम एक स्वतंत्र पक्षी है जो जाने कब किसी के आंगन में पहुंच जाए ....चाहे मन का दरवाजे बंद कर रखा हो तो भी वह प्रेम पक्षी दिल की खिड़की से पहुंचकर ही रहेगा.... चांद सूरज की तरह भी प्रेम अपनी इच्छा से ही चलता है.... सीमा और बंधन से परे गतिमान रहते हुए...मंजिल तक पहुंचता ही है।
इस प्रेम को समय के साथ सींचना पड़ता हैं...नहीं तो वह बहुत दूर चला जाता हैं...!! हा बहुत दूर, शायद उस पंछी को कोई नया आशियाना मिल गई हो..
प्रेम
हमेशा
स्वभाव,
समर्पण
और सोहार्द
की अनुभूति होती है.. राधे मेरे !

जलन,
ईर्ष्या,
द्वेष से परे
प्रेम 
हृदय, मन की
एक तपस्या होती हैं.. प्रिये मेरे..!! #प्रेम_परिकाष्ठा -11🌺
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प्रेम एक स्वतंत्र पक्षी है जो जाने कब किसी के आंगन में पहुंच जाए ....चाहे मन का दरवाजे बंद कर रखा हो तो भी वह प्रेम पक्षी दिल की खिड़की से पहुंचकर ही रहेगा.... चांद सूरज की तरह भी प्रेम अपनी इच्छा से ही चलता है.... सीमा और बंधन से परे गतिमान रहते हुए...मंजिल तक पहुंचता ही है।
इस प्रेम को समय के साथ सींचना पड़ता हैं...नहीं तो वह बहुत दूर चला जाता हैं...!! हा बहुत दूर, शायद उस पंछी को कोई नया आशियाना मिल गई हो..