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प्रेम-प्यार की बात करो तो कोई बात बने, दिन-दोपहर-र

प्रेम-प्यार की बात करो तो कोई बात बने,
दिन-दोपहर-रात करो तो कोई बात बने।

ढूँढ़ रहा मैं जीवनसाथी किन्तु नहीं मिलता,
समझ न आये वक़्त मुझे क्यों हरदम है छलता। 
आगे तुम निज हाथ करो तो कोई बात बने।
प्रेम-प्यार की बात करो तो कोई बात बने।।

कहे अकेलापन यह मुझसे स्वर्णिम मुझे बना,
क़ोशिश मैं करता ज्यों-ज्यों त्यों होता दर्द घना।
साझा तुम ज़ज़्बात करो तो कोई बात बने।
प्रेम-प्यार की बात करो तो कोई बात बने।।

माना भीतर पले वासना किन्तु प्रेम भी है,
प्रेम प्राप्त सच्चा हो यदि फिर कुशलक्षेम भी है।
दिल को यदि तुम मात करो तो कोई बात बने,
प्रेम-प्यार की बात करो तो कोई बात बने।। 

तन्हाई है मीत हमारी बनी हुई कब से,
दिल की अनबन प्रेम-प्यार से ठनी हुई कब से।
मिलन की प्रस्तुत प्रात करो तो कोई बात बने,
प्रेम-प्यार की बात करो तो कोई बात बने।।

सच्चा प्रेम न देखे प्यारे सत्य उम्र-बंधन, 
दो दिल मिलते अगर प्यार से होता गठबंधन।
जीवन निज सौगात करो तो कोई बात बने,
प्रेम-प्यार की बात करो तो कोई बात बने।

©सतीश तिवारी 'सरस' 
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