लक्ष्मण को आग्रह देकर राम माता सीता का ख़्याल रखना स्वर्ण मृग के पीछे उसे पकड़ने चल पड़े मायावी मारीच ने ऐसा जाल बिछाया राम को बहुत दूर ले गए और अपनी माया से भगवान राम की आवाज़ में सीता ,लक्ष्मण से रक्षा करने की गुहार लगाई राम के ईस तरह की पीड़ा भरी आवाज़ सुनकर माता सीता का मन हो उठा बिचलित उन्होंने ने लक्ष्मण को आदेश दे डाला भैया के पीछे जाने की माता के आदेश को लक्ष्मण अनदेखा नहीं कर पाए कुटिया के चारों तरफ लक्ष्मण रेखा पार लक्ष्मण रेखा के भीतर रहने का कहकर हृदय में धीरज धरने को कह डाले.. लखन गए प्रभु के पीछे रावण आया साधु रूप में वहीं दिखावा वही छलावा घिरा अँधेरा तेज धूप में बन भिखारी भिक्षा माँग झोपड़ी द्वारे टेर लगाया लक्ष्मण रेखा के भीतर माता ताजा फल लेकर आई जैसे रावण ने कदम बढ़ाया पावक लपटे घिर आयी रावण ने फिर माता सीता से कहा.. रेखा के भीतर शिद्ध योगी भिक्षा लिया नहीं करते और द्वार पे आये भिखारी को बिना भीख दिए बिदा नहीं करते रघुकुल की आन की खतिर माता सीता ने कदम बढ़ाया कपटी रावण ने मौका पाकर सीता को अपनी पुष्पक विमान में बिठा आकाश मार्ग से लंका ले जाने लगा। रास्ते में सीता की पुकार सुनकर वहीं वृद्ध बैठा जटायु ने रावण का रास्ता रोका साहस दिखाकर जटायु ने दशानन को युद्ध के लिए है ललकारा अपनी पैनी चोंच से उसने वार करके दशानन को चोट पहुचाई मगर दशानन ने अपनी तलवार निकाल कर जटायु के पंख है काट डाले। ©rishika khushi अरण्य कांड(जटायु वध) #NojotoRamleela #NojotoRamleela #Nojotowritters #NojotoEnglish #अरण्यकांड