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खाब मेरे कुछ इस कदर टूटने लगा है,, जैसे मेरे हाथो

खाब मेरे कुछ इस कदर टूटने लगा है,,
जैसे मेरे हाथो से समन्दर छुट्टने लगा है,,
अंसारी

खाब मेरे कुछ इस कदर टूटने लगा है,, जैसे मेरे हाथो से समन्दर छुट्टने लगा है,, अंसारी #Shayari

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