#गुजरे_हुए_लम्हे की, कसक आज भी है दिल में, वो साथ न निभाए, यह बात है दिल में, हम जान से भी ज्यादा, कभी चाहा था जिनको, वो आज किसी और के, पहलू में बैठी है, महबूबा हमारी थी, मेहबूब बदल ली, मज़बूरी थी क्या उनकी, क्यों राह बदल ली, संग चार क़दम चल के, क्यों हाथ मेरा छोड़ा, तनहा मुझको कर के, कहीं का नही छोड़ा.! #अजय57