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जाड़े की बहार (1)सर्दी में है सोमरस,चाय गर्मा गर्म

जाड़े की बहार

(1)सर्दी में है सोमरस,चाय गर्मा गर्म।
सिकुड़ी बैठी धूप की, दूर हटाओ शर्म।।
            (2)  कुर्सी डालो लॉन में,चाय समोसा साथ।
                   धूनी सी रम जाएगी, उपन्यास हो हाथ।।
(3)बालक हों या वृद्ध जन,सब की है यह काल।
सर्दी ने इस बार तो,टेढ़ी कर दी चाल।।
            (4)  गजक,  रजाई ,रेबड़ी, सर्दी को दें मात।
                      पुरखों ने बख्शी हमें,जाड़ों की सौगात।।
(5)सर्दी दूर करे सदा,माशूका का साथ।
  सैरसपाटे पर निकल,डाल हाथ में हाथ।।

©कमल कांत
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