कोहरा बदल जाने का एहसास दिलाता है कोहरा कुछ भी नज़र ना आये,जब आता है कोहरा हाथों को सुझाई कोई आसान हल नही होता जिंदगी की दीवारों पर जब छाता है कोहरा कभी संग महबूब के बर्फीले पहाड़ों पर आओ थाम लो हाथ महबूब का तो लुभाता है कोहरा हां दिल की धड़कनों को भी सुना देना आमिल मुहब्बत के भी कुछ गीत यूंही सुनाता है कोहरा आमिल Badal jaane ka ehsas dilata hai kohra Kuch bhi nazar a aaye ,jab aata hai kohra Hatho ko sujhai koi aasan hall nhi hota Zindgi ki deewaaro pr jab chhata hai kohra Kabhi sang mehboob ke barfile pahado pr aao Thaam lo hatth mehboob ka to lubhata hai kohra