प्रारब्ध कर्म से ही मैंने अपना ये जीवन पाया है। आरब्ध मर्म कर्मों का मैंने सच सबको दिखलाया है। सरिता में ज्यों कमल खिला मुख सीपी के ज्यों रत्न मिला जिस आँगन की चंदन मिट्टी तन लोट पोट हो आया है। बस मेरी है पहचान यही- पुण्यात्म भाव सब पाया है। 💐💐💐 कैप्शन--- देखें प्रारब्ध कर्म से ही मैंने अपना ये जीवन पाया है। आरब्ध मर्म कर्मों का मैंने सच सबको दिखलाया है। सरिता में ज्यों कमल खिला मुख सीपी के ज्यों रत्न मिला जिस आँगन की चंदन मिट्टी तन लोट पोट हो आया है।