वो चांदनी का बदन ख़ुशबुओं का साया है बहुत अज़ीज़ हमें है मगर पराया है उतर भी आओ कभी आसमाँ के ज़ीने से तुम्हें ख़ुदा ने हमारे लिये बनाया है महक रही है ज़मीं चांदनी के फूलों से ख़ुदा किसी की मुहब्बत पे मुस्कुराया है उसे किसी की मुहब्बत का ऐतबार नहीं उसे ज़माने ने शायद बहुत सताया है तमाम उम्र मेरा दम उसके धुएँ से घुटा वो इक चराग़ था मैंने उसे बुझाया है ©ankit_poetry ★गुमनाम शायर★ #instathought#instantpoetry#thepoet#ankit#nojoto#