बहुत है आशिकों को देख कर हमारे दिल में भी सोज़, महबूब साथ हो तो हमारा चहरा भी रहता है अफ़रोज़, सीधे रास्ते में भी चलते-चलते कदम बहक जाते है कई रोज़, जब याद आता है माथे का बोसा लिया था उसने एक रोज़। - काज़ी मुईज़ हाशमी Do you like forehead kisses? #foreheadkisses #valentinesweek #kissday #nojoto #nojotonew #YourQuoteAndMine #quazimueezhashmi #hashmi__ji #अफ़रोज़ #बोसा Collaborating with YourQuote Baba बहुत है आशिकों को देख कर हमारे दिल में भी सोज़, महबूब साथ हो तो हमारा चहरा भी रहता है अफ़रोज़,