शब्द - आज (today) ऐ जिंदगी , आज तू मुझे कुछ पल के लिए अकेला छोड़ दे इस खामोश रास्ते पर अंधेरी रात के साथ कुछ नुमाइशें तेरी इन गलियों से अभी बाकी है , अभी तो आंखें नम हुई है उन्हें सोच कर याद करके आंसुओं का निकलना तो अभी बाकी है , भला कैसे छोड़ सकते हैं वो मुझे इस तरह बीच मझधार में संदेशा तो भेज दिया है मैंने उन्हें बस जवाब आना बाकी है , आज तो थक सा गया हूं उसके जुल्म सहते-सहते जैसे घायल हो गया हूं मानो जख्मों का सिलना अभी बाकी है , अब उनसे कैसे पूछूं और कैसे पता करूं जख्मों की वजह शिकायत कर तो आया हूं खुदा से इंसाफ की खातिर बस सुलह का पंचनामा बाकी है , अब तो बेइंतहा हो गई है उनके इंतजार की रात भी जा चुकी है मुझे छोड़कर सुबह का आना अभी बाकी है अब तक दायरे में थे हम एक तेरे लिए अब तेरे ही खातिर हद से गुजरना बाकी है , आज मैंने तेरी खातिर शायरियां भी की और नज्में भी लिखी बस मेरी मेहनत का परिणाम आना बाकी है ,,,,,,, - ए.पी.बौद्ध 04:00 pm. 07.08.2020 #today's_words #today_special