आओ, करते मंज़िल की तलाश है, ऊंचे-नीचे इन रास्तों को तराश के, झूठे-सच्चे वादों के मध्य अंतराल पे, आज खुद से करते है ख़्याल हम ये.. टूटते बार-बार आत्मविश्वास से, चलो चलते हैं, हम फ़िर संवर के, एक बार फ़िर से ठान के मन में.. "कभी जीते-जी ना हार मानेंगे"-हम ये। Shree #a_journey_of_thoughts 🌹नमस्ते लेखकों🙏🏼 🌸कोलैब करने से पहले 📌पिन पोस्ट अवश्य पढ़ लें। 🌸 आप सभी दिए गए विषय पर 6 - 8 पंक्तियों में अपनी रचना पूरी करें