वेदना पीड़ा दिखे नहीं आँखे मुंद बैठे है कुछ यहाँ की सरकारों मे,, सियासत का शोर है बड़ा विचलित केसा हो कोई पीड़ित के चित्कारो मे,, सब अपनी सियासत चमकाने मे लगे हाथ मे तख्ती ले लगा नारो मे,, दिखावा है सब कुछ यहाँ कोई नहीं बहता यहाँ अश्कों के धारो मे,, हाय हाय कर मोमबत्ती जला रैली निकालें जरूरत ना समझें व्यवस्था सुधारो मे,, जो बहन बेटी की और आँख उठाकर देखे गिद्ध टांग दो उन्हें बिच बाजारों मे,, रूह काँप उठे इस पाप के नाम से ही ऐसी सजा का जिक्र हो अगले दिन अखबारों मे,, पहल हम खुद ही करे हर नारी मे माँ, बहन नजर आये दिए हुए संस्कारो मे,, वरना युही नोचि जायेगी बेटिया युही इज्जत तार तार हो गिनती होंगी लाचारों मे,, खुद ही दुर्गा बन, बन जा तू काली दुष्टो का नाम खुद ही लिख दे संहारो मे,, उन्मुक्त गगन होगा खुली हवा मे निडर होकर उड़ना तू चिड़िया बन हर बहारो मे,, चीत्कार नहीं दुत्कार नहीं ना ही सवेंदना की बाढ़ होंगी..... तेरा हर और नाम गूंजेगा जयकारो मे,,, तेरा हर और नाम गूंजेगा जयकारो मे,,, ✍️नितिन कुवादे.... ©Nitin Kuvade #Rape