अभिलाषाएं ~~~~~~~~ अभिलाषाएं फूल है मन के, जो खिलते हैं कर्मभूमि के बगीचे में श्रम की शाखों पर काम के पौधों से, मिलते हैं सबको जब भी इनको सींचा जाता है शरीर की स्वेद रक्त धारा से, सफलता का मीठा फल बनके जज्बे वाले मेहनतकश जीवन को खुशियों से महकाने | ~ गोपाल 'साहिल' #glal #hindipoetry #hindipoem #hindipoets #yqbaba #yqdidi