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तेरी हरकतों में अब मेरे लिए भलाई नहीं है। कि तुझमे

तेरी हरकतों में अब मेरे लिए भलाई नहीं है।
कि तुझमें वफाई अब मेरे लिए नहीं है//१
कैसे संभालेगा तू खुद से,खुदी को
 तेरा दिल,शैदाई अब मेरे लिए नहीं है//२          

,  दिये इल्ज़ाम तूने मेरी सादा दिली पे हरदम
तेरे दिल में नरमाई अब मेरे लिए नहीं है//,३
क्यों दूर करता है खुद से मुझे यूं कि जैसे 
                        तेरे दिल में शनासाई अब मेरे लिए नही है//४                         

क़ुसूर इसमें तुम्हारा नहीं कुछ,हकीकतन
 तेरी आँखों में रोशनाईं अब मेरे लिए नहीं है//५
 अगर अलहदा तू रिश्ता करेगा।
तो क्या तेरी,ये रुसवाई अब मेरे लिए नहीं है।।६

गोया तूने जब से,है फेरी निगाहे 
कि तेरी परछाई भी अब मेरे लिए नही है//७
बहुत आरजू है की तुझमें हो जाऊं,फना मैं
करूँ क्या तुझ में गहराई अब मेरे लिए नहीं है//८

समझा गया बहुत नादान मुझको ।
मगर तुझ में ही दानाई अब मेरे लिए नहीं है//९
तूने जेरे चश्म देखा मुझको है,हरसूं,
तेरे क़द में थी ऊँचाई अब मेरे लिए नहीं है//१०

शमा अब कौन देगा पनाह  मुझको। 
मगर तुझमें तवानाई अब मेरे लिए नही  है//११
(तवानाई/बल,जोर,ताकत) शमीम अख्तर/शमाwrite ✍️
      -

©IM binte hawwa shama write #korakagaz#merekhyaal#khat#कब_तक#shamawrites#nojoto#मेरी_कलम_से#दिल_की_बात
ग़ज़ल
तेरी हरकतों में अब मेरे लिए भलाई नहीं है,कि तुझमें वफाई अब मेरे लिए नहीं है//१

कैसे संभालेगा तू खुदसे,खुदी को तेरा दिल,शैदाई अब मेरे लिए नहीं है//२          (lover, आशिक) 

 दिये इल्ज़ाम तूने मेरी सादा दिली पे हरदम,तेरे दिल में नरमाई अब मेरे लिए नहीं है//,३
(Softness)
तेरी हरकतों में अब मेरे लिए भलाई नहीं है।
कि तुझमें वफाई अब मेरे लिए नहीं है//१
कैसे संभालेगा तू खुद से,खुदी को
 तेरा दिल,शैदाई अब मेरे लिए नहीं है//२          

,  दिये इल्ज़ाम तूने मेरी सादा दिली पे हरदम
तेरे दिल में नरमाई अब मेरे लिए नहीं है//,३
क्यों दूर करता है खुद से मुझे यूं कि जैसे 
                        तेरे दिल में शनासाई अब मेरे लिए नही है//४                         

क़ुसूर इसमें तुम्हारा नहीं कुछ,हकीकतन
 तेरी आँखों में रोशनाईं अब मेरे लिए नहीं है//५
 अगर अलहदा तू रिश्ता करेगा।
तो क्या तेरी,ये रुसवाई अब मेरे लिए नहीं है।।६

गोया तूने जब से,है फेरी निगाहे 
कि तेरी परछाई भी अब मेरे लिए नही है//७
बहुत आरजू है की तुझमें हो जाऊं,फना मैं
करूँ क्या तुझ में गहराई अब मेरे लिए नहीं है//८

समझा गया बहुत नादान मुझको ।
मगर तुझ में ही दानाई अब मेरे लिए नहीं है//९
तूने जेरे चश्म देखा मुझको है,हरसूं,
तेरे क़द में थी ऊँचाई अब मेरे लिए नहीं है//१०

शमा अब कौन देगा पनाह  मुझको। 
मगर तुझमें तवानाई अब मेरे लिए नही  है//११
(तवानाई/बल,जोर,ताकत) शमीम अख्तर/शमाwrite ✍️
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©IM binte hawwa shama write #korakagaz#merekhyaal#khat#कब_तक#shamawrites#nojoto#मेरी_कलम_से#दिल_की_बात
ग़ज़ल
तेरी हरकतों में अब मेरे लिए भलाई नहीं है,कि तुझमें वफाई अब मेरे लिए नहीं है//१

कैसे संभालेगा तू खुदसे,खुदी को तेरा दिल,शैदाई अब मेरे लिए नहीं है//२          (lover, आशिक) 

 दिये इल्ज़ाम तूने मेरी सादा दिली पे हरदम,तेरे दिल में नरमाई अब मेरे लिए नहीं है//,३
(Softness)