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रस में भरे आज मन की मधुशाला को, सूखी पड़ी कब से रे!

रस में भरे आज मन की मधुशाला को,
सूखी पड़ी कब से रे!

कच्ची करें
सारी  उन दीवारों को
रोक रही है जो हमें

©Dk #man ki madhoshala
रस में भरे आज मन की मधुशाला को,
सूखी पड़ी कब से रे!

कच्ची करें
सारी  उन दीवारों को
रोक रही है जो हमें

©Dk #man ki madhoshala
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