अनजान , वो अजनबी दुर हैं बहत दूर पंछी की पर की रंग आंखों में घोल दू फिर भी , अनजान सफेद दिखता हैं वहा गुफा की गहराइया, बहत अंधेरा हो नीले पानी मीन दुबके , बदलने की ख्वाहिश में मार गई आंखे बंद करो , मुझे सम्हालना हैं उस अजनबी को , अपने उंगली में । स्वपस लाना हैं उस दिलको जहां मैं नहीं थी , जनजान थी उन अजीब अंखोके , पहचान में । #yqdidi #beginning #hindipoetry #shayeri #kavita #newwritter