गरचे तेरे चेहरे पे हंसी बाकी है जिस्म भी जान भी अक्ल बाकी है लुटा दी सरे बाज़ार आबरू तूने अब कहां तुझमें शर्म बाकी है,,. . तेरा वकार तेरी ईज़्ज़त अब कहा बाकी है पर शायद अब्भी तुझमे अकड बाकी है और नाज करता है तू जात पर अपनी साफ है तुझमे अब्भी अना बाकी है । . आती है निदा अब्भी तेरे घर आज़ानो की सुन्ने की अभी तुझमे तासीर बाकी है दौ गाना अदा करलेता तु मसजिद जाकर वक्त है पर तेरा गुसल कहा बाकी है। . तेरी ज़ुबां पे हदीस का उनवान बाकी हैं। फेल नहीं अमल नहीं अक्वाल बाकी है। जीसे देखने की तुझे फुर्सत ही नहीं। अब्भी तेरी ताक पर वो कुरान बाकी है। . हम सुन्नी हैं वहाबी हैं दिगर हैं लेकिन किया हम्मे कौई मुसलमान बाकी है। जो केहतेथे हम मसीहा हैं मुसलमानों के किया अब्भी उनके मुंह में जबान बाकी हैं। . वह हैदर थे जो खेबर उखाड़ देते थे वह खालीद थे जो लश्कर काट देते थे याद तो खूब है उनके फंसाने तुझको पर क्या तुझमें वह हूनर बाकी हैं। ©shahnawaz nazar official #Emotional #zameer #shahnawaznazar #Life Rajeev Bhardwaj लेखक Ayesha Aarya Singh Puja kumari