विचारधारा? कहा मैंने, रक्त, रोटी और राम! उसने कहा कि मजा नहीं आया! तो? कुछ पूरब पश्चिम सा... या दाएं, बांए जैसा हो... कुछ अलग... उसकी आँखों की धार मेरे सात टुकड़ें कर रही थी और मैंने एक होकर कहा, सत्य! मैं ही हूँ कभी अछूत, कभी अघोषित, कभी अलक्षित, कभी अपरिभाषित, कभी अव्यक्त। मैं ही लांछित, मैं ही छिपाया जाता हूँ, मेरे लिए ही शास्त्र पुराण रचे गए और फिर भी कइयों के लिए ब्रह्म की भांति मैं अव्यक्त रह जाता हूँ! बस क्योंकि तुम मुझे खरीद-बेच नहीं सकते इसलिए मैं अछूत रह जाता हूँ। www.amazon.com/author/harshranjan #yqbaba #yqdidi #yqquotes #yqchallenge #collab