मासूमियत भरी थी जिसकी आंखों में, शर्मोहया की वो मूरत थी, क़त्ल कर दे जिसकी अदाएं, घूँघट में वो सूरत थी। सोचता हूँ,जब भी ख्यालों में, तस्वीर खिंच जाती है, सीने में रूबरू हुआ नही अब तक, ख्वाबों में ही मुलाकात हुई। ©Vikas kumar #BookLife Dhyaan mira Amita Tiwari Aradhna ❤️