ज़िंदा रहने के लिए इसके सिवा और चारा ही क्या है के खुद से खुद की बग़ावत की जाये अपनी मरी हुई चमड़ीयों को पका कर खाने के सिवा दो रोटी की ख़ातिर खुद को क़त्ल करना जरुरी हो जाये कवि होना भी जब वेश्यावृति बन जाए माहौल कब इज़ाज़त देगा, सरकारें क्या सूरत-ए-हाल बदलेंगी कवि जब एक दिन इस फ़रोख्त से बाज़ आ जायेगा तो ख़ुदकुशियाँ भी उनके शब्दों की फाँसी बनाकर उनके घरों की छत से लटक जाएँगी #कवि #निराशा #YQdidi #YQbaba #लाश #वेश्या #ख़ुदकुशी #आत्महत्या #सरकार #जिंदगी #life