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कुचल कुचल के न फ़ुटपाथ को चलो इतना... यहाँ पे रात

कुचल कुचल के न फ़ुटपाथ को चलो इतना...

यहाँ पे रात को मज़दूर ख़्वाब देखते हैं... गरीब लोगो की दिल की आवाज़ दिलकश रिजवा के संग
कुचल कुचल के न फ़ुटपाथ को चलो इतना...

यहाँ पे रात को मज़दूर ख़्वाब देखते हैं... गरीब लोगो की दिल की आवाज़ दिलकश रिजवा के संग