ओशो ॥ गरीब आदमी कब वीणा बजाए, कब बांसुरी बजाए ? दिनहीन रोटी न जुटा पाये तो अध्यात्म की उड़ान कैसे भरे ? अध्यात्म तो परम विलास है; वह तो आखरी भोग है, आत्यंतिक भोग। बुद्ध पैदा हुए तब देश सच में सोने की चिड़िया था। जैनो के चौबीस तीर्थंकर सम्राट के बेटे थे और राम और कृष्ण भी,और बुद्ध भी। इस देश में जो महान प्रतिभा पैदा हुई वे राजमहलों से आई थी। अकारण नहीं, आकस्मिक ही नहीं। देश बहुत गरीब है, समाज बहुत गरीब है तो सारा जीवन, सारी ऊर्जा रोजी-रोटी कमाने में ही उलझ जाती है। जिसने भोगा है वही विरक्त होता है। वही छोड़ पाता है जिसने जाना है, जिया है, भोगा है। जिसके पास धन ही नहीं है उससे तुम कहो धन छोड़ दो, क्या खाक छोड़ेगा। जिसने संसार का अनुभव ही नहीं किया है उससे कहो संसार छोड़ दो, वह कैसे छोड़ेगा ? ©Jasmine of December #NojotoRamleela #sangeet #Aanand #Ram #osho #Nojoto #nojotoLove #Love #Book