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ए चांद थोड़ा देर से निकल रोक दे चांदनी को मुझतक आ

ए चांद थोड़ा देर से निकल 
रोक दे चांदनी को मुझतक आने से
के अब जुग्नुओं की पहरेदारी है।
 आसमां तू भी बिखरा दे बादल घने
थाम ले सेहर को सेहर होने तक
के अब अंधेरों से अपनी यारी है।
डर जाएगा सूरज भी मेरे ताप से
पिघल जाएगा पारा मेरी आंच से
ये मेरे आफताब की जिम्मेदारी है।
वो गहरा समुंदर भी जम जाएगा
बह जाएगा दरिया शहर , कूचुं तक
तेरी और मेरी अब साझेदारी है। #mridulawrites #raat #nightmode
ए चांद थोड़ा देर से निकल 
रोक दे चांदनी को मुझतक आने से
के अब जुग्नुओं की पहरेदारी है।
 आसमां तू भी बिखरा दे बादल घने
थाम ले सेहर को सेहर होने तक
के अब अंधेरों से अपनी यारी है।
डर जाएगा सूरज भी मेरे ताप से
पिघल जाएगा पारा मेरी आंच से
ये मेरे आफताब की जिम्मेदारी है।
वो गहरा समुंदर भी जम जाएगा
बह जाएगा दरिया शहर , कूचुं तक
तेरी और मेरी अब साझेदारी है। #mridulawrites #raat #nightmode